पटवारी ने किया फर्जीवाड़ा? शासन को पहुंचाया आर्थिक नुकसान, संस्था की मान्यता पर आ सकती है आंच?

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पटवारी ने किया फर्जीवाड़ा? शासन को पहुंचाया आर्थिक नुकसान, संस्था की मान्यता पर आ सकती है आंच?

रायपुर – बड़ी खबर सक्ती जिले से आ रही है जहां गिरदावरी में भारी भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पटवारी द्वारा ऐसे जमीन का गिरदावरी किया गया है जिसमें पहले से ही भवन निर्मित है। इसके अलावा उक्त खसरा नंबर की भूमि का मद परिवर्तन करते हुए व्यावसायिक उपयोग हेतु दर्ज किया गया हैं। बावजूद पटवारी द्वारा षडयंत्र पूर्वक शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने गिरदावरी कर दी।

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उक्त हल्का पटवारी द्वारा गया किया गया यह कार्य उसके कर्तव्य आचरण को स्पष्ट करता है, कि वह किस तरह से शासन को क्षति पहुंचाने में कोई कमी नहीं कर रहा है। उक्त पटवारी के हल्के की जांच कर दी जाए तो और भी कहीं नए मामले सामने आ सकते हैं जिसमें इस तरह की गड़बड़ियां हुई है।

इस तरह की गड़बड़ी करने वाले पटवारी का नाम राम आजाद है जो की सक्ती तहसील के ग्राम बरपाली हल्का में पदस्थ है। इनके द्वारा व्यावसायिक उपयोग किए जा रहे भूमि जिस पर भवन निर्मित है का फसल गिरदावरी किया गया है। इस पूरे मामले को लेकर जब पटवारी से बात करने संपर्क किया गया तो उनके द्वारा कॉल रिसीव नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि पटवारी को कार्रवाई का भी भय नहीं है।

इस पूरे मामले में पटवारी आजाद एवम् कास्तकार अग्रवाल निवासी सक्ती की संलिप्तता नजर आ रही है, क्योंकि पटवारी ने जिस जगह का गिरदावरी किया है वहां पहले से ही भवन निर्मित है। वहीं किसान द्वारा जान बूझकर ऐसे भूमि का पंजीयन कराया गया जिसमें वह भवन बना चुका है और किसी प्रकार का कोई भी फसल नहीं लगाई गई है। लेकिन उनके द्वारा उक्त खसरा नंबर की भूमि पर रकबा अनुसार धान की बिक्री कर लाभ जरूर लिया गया।

कास्तकार उठा रहा दोहरा लाभ…

इस पूरे प्रकरण में एक बात तो साफ है कि काश्तकार द्वारा जानबूझकर अपने भूमि का पंजीयन कराया गया है, क्योंकि उक्त भूमि में यदि कास्तकार द्वारा भवन बनाकर व्यावसायिक उपयोग करने मद परिवर्तन भी कराया गया है, बावजूद उसी नंबर की भूमि का समर्थन मूल्य पर धान बेचने इस तरह का पंजीयन कराना कहीं ना कहीं दोहरे लाभ लेने को स्पष्ट करता है। हमारे द्वारा इसकी शिकायत भी संबंधित संस्था प्रमुख से की जाएगी और मान्यता को भी समाप्त करने आवाज उठाई जायेगी।

इसके अलावा उपार्जन केंद्र में समिति प्रबंधक/ प्रभारी और कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा किन दस्तावेजों के आधार पर और किसके कहने पर यह पंजीयन किया गया यह भी अपने आप में सवाल है।

कर्तव्य के प्रति गैर जिम्मेदार पटवारी शासन को पहुंचा रहा आर्थिक क्षति…

इस पूरे मामले में पटवारी द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया गया है। पटवारी द्वारा जिम्मेदारी पूर्ण कार्य करने एवम् विभाग के प्रति अपने कर्तव्य निर्वहन पर भी सवाल उठ रहा है। किसी भी काश्तकार के द्वारा फर्जी एवं गलत ढंग से फसल पैदावार होना बताकर फर्जी गिरदावरी को रोकने जमीनी स्तर पर पटवारी को इस कार्य की जिम्मेदारी दी गई है, ताकि शासन को किसी भी तरह से होने वाले आर्थिक क्षति को रोका जा सके। लेकिन यहां पटवारी द्वारा शासकीय सेवा में होने का फायदा उठाते हुए अपने पद एवं अधिकार का दुरुपयोग कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है जो की गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है और अपने सेवा में की गई मनमानी एवम् कर्तव्य आचरण को स्पष्ट करता है।

इस मामले में खरीदी केंद्र बरपाली प्रभारी रूपेंद्र जायसवाल द्वारा बताया की भूमि स्वामी द्वारा स्वयं उपस्थित होकर जानकारी देते हुए उक्त खसरा नंबर की भूमि का पंजीयन कराया गया है जिसके लिए बी 1 और ऋण पुस्तिका प्रस्तुत की गई थी जिसके आधार पर पंजीयन किया गया। उक्त खसरा नंबर में धान की बिक्री भी हुई है।

इस पूरे मामले में आखिरकार किसकी संलिप्तता रही है और किसके कहने पर किन दस्तावेजों के अवलोकन पश्चात किस आधार पर पंजीयन किया गया यह जांच का विषय है। इसके अलावा भवन निर्मित भूमि पर आखिर कौन कैसे फसल उगाई गई थी जिसे देखकर पटवारी द्वारा गिरदावरी की गई। समाचार प्रकाशन के बाद इस मामले से जुड़े हर किसी के खिलाफ जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करती है यह तो कार्यवाई होने के बाद ही पता चल सकेगा।

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