रविशंकर शुक्ल नगर में आयोजित भागवत कथा के सप्तम दिवस में रूखमणी विवाह चरित्र ने श्रोताओं का मन मोह लिया

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In the seventh day of Bhagwat Katha organized in Ravi Shankar Shukla Nagar, Rukhmani Vivah character captivated the audience.

कोरबा। चिल्ड्रन पार्क रवि शंकर शुक्ल नगर में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस श्री धाम वृंदावन के प्रख्यात भागवत प्रवक्ता श्री हित ललित वल्लभ जी महाराज ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि रुक्मणी कृष्ण विवाह के पश्चात भगवान ने सोलह हजार एक सौ सात विवाह और किए जिसमें रुकमणी ,सत्यभामा आदि आठ प्रमुख रानियां थीं, भोमासुर नाम के राक्षस की कैद से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराया तब उन कन्याओं ने भगवान कृष्ण से कहा की अब हम कहां जाएं अब हमारे घर वाले हमें स्वीकार नहीं करेंगे तब भगवान ने उन सभी कन्याओं के साथ विवाह किया इस तरह भगवान ने सोलह हजार एक आठ विवाह संपन्न किए। पांडवों के द्वारा राजसूय यज्ञ का वर्णन ,भीम के द्वारा जरासंध का वध की कथा श्रवण कराने के पश्चात श्री व्यास जी महाराज ने भक्त ह्रदय श्री सुदामा जी के प्रसंग की व्याख्या की सुदामा जी भगवान श्री कृष्ण के भक्त भी थे और मित्र भी थे सुदामा जी महाराज धन से गरीब थे लेकिन जिनके पास प्रभु नाम का खजाना हो वही सबसे बड़ा धनी है सदा भगवान कृष्ण का नाम जाप करते थे,महाराज श्री ने प्रसंग की व्याख्या को आगे बढ़ाते हुए कहा कलयुग एक ऐसा युग है जिसमें भगवान के नाम से ही जीव मोक्ष को प्राप्त कर सकता है ,कलयुग में जिस वर्ण में एकता होगी वहीं राज्य करेगा, कलयुग में महिलाएं पुरुषों की बराबरी करेंगी ,पवित्रता में केवल स्नान मात्र ही रहेगा। एक अध्याय में विषय अनुक्रमणिका के माध्यम से भक्तजनों को संपूर्ण श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कराई,तत्पश्चात फूलों की होली हुई जिसमें राधा कृष्ण की झांकी सजाई गई भक्त भाव विभोर हो नृत्य करने लगे। हरि नाम संकीर्तन के साथ श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम हुआ।

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