सावित्रीबाई फुले जयंती पर माध्यमिक शाला पतरापाली में किया गया उन्हें नमन

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सावित्रीबाई फुले जयंती पर माध्यमिक शाला पतरापाली में किया गया उन्हें नमन

सूरजपुर- विकासखंड रामानुजनगर में सावित्रीबाई फुले का माध्यमिक शाला पतरापाली में जन्म दिवस मनाया गया। सावित्री बाई फुले जी के छाया चित्र पर दीप प्रज्वलन कर, माल्यार्पण कर अगरबत्ती जलाया गया। संस्था के प्रधान पाठक बी.आर. हितकर ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने बाल विवाह व जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी व विधवा विवाह करने के लिए समाज को जागरूक किया। अगर सावित्रीबाई के विचार आम जन तक ले जाने का काम जब तक नही होगा, तब ही उनका जन्म दिन मनाना सार्थक नही होगा। शिक्षक योगेश साहू द्वारा उनका परिचय दिया गया उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था। इनके पिता का नाम खन्दोजी नैवेसे और माता का नाम लक्ष्मी था। सावित्रीबाई फुले का विवाह 1840 में ज्योतिबा फुले से हुआ था। भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए। वे प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की। सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। कार्यक्रम में बच्चों के द्वारा भाषण व अन्य प्रतियोगिता कराया गया तथा पुरस्कार वितरण किया गया। कार्यक्रम में प्रधान पाठक बी. आर. हितकर, संकुल समन्वयक जे डी सिंह, महेंद्र पटेल, अनिता सिंह, कृष्णा यादव, योगेश साहू, सविता साहू, रघुराज जायसवाल, सरिता सिंह एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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