जेखर लेहे नोट का ओला मिलही बोट? का एही हर आए लोकतंत्र के गोठ?

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जेखर लेहे नोट का ओला मिलही बोट? का एही हर आए लोकतंत्र के गोठ?

 

रायपुर – छत्तीसगढ़ प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 70 सीटों पर द्वितीय चरण का मतदान 17 नवंबर याने कि कल होने वाला है। द्वितीय चरण के मतदान को लेकर प्रदेश निर्वाचन आयोग ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश के सभी 70 सीटों में सफल और शत प्रतिशत मतदान को लेकर हर जिले में जिला निर्वाचन अधिकारी अपने मातहतो के साथ मिलकर सक्रिय हैं। मतदान दल प्रभारी अपने-अपने मतदान केंद्रों में सामग्री लेकर रवाना भी हो रहे है और कई हो चुके हैं।

इसी बीच लोकतंत्र की अहम हिस्से को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है कि इस बार चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने जिस तरह से घोषणाएं की है वह काफी लोक लुभावने और प्रलोभन देने के नजरिया से देखने लायक है। सत्ता हासिल करने पार्टी द्वारा ऐसे कई वादे किए जा रहे है जिसकी धरातल पर परिकल्पना करना भी अपने आप में बड़ा सवाल है।

वैसे तो पूरे प्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी बेहतर है यह तो हर कोई जानता है। छत्तीसगढ़ राज्य के गठन से लेकर अब तक कांग्रेस और भाजपा ही शासन करते आई है। ऐसा नहीं है कि राज्य में विकास नहीं हुआ है। लेकिन विकास का अहम हिस्सा शिक्षा और स्वास्थ्य को माना जाता है जिसको लेकर अब भी राज्य के कई जिले पिछड़े हुए हैं। बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं होने के कारण ही आज लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराने मजबूर है जिसके कारण उन्हें आर्थिक बोझ तले भी दबना पड़ता है।

इसी तरह प्रदेश में शिक्षा का हाल है। हर कोई अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देना चाहता है। लेकिन प्रदेश के अधिकाश जिले के कई सरकारी स्कूलों में जिस तरह से अच्छे स्कूल भवन, पर्याप्त संख्या में शिक्षक, शुद्ध पेयजल, खेल मैदान, प्रसाधन, फर्नीचर, पंखे और बिजली की समस्या है उससे भी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ना चाहते हैं। हालांकि गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरटीई के तहत व्यवस्था की गई है लेकिन इसका लाभ भी हर कोई को नहीं मिल पा रहा है।

चुनाव को लेकर कई लोगों के विचार कुछ ऐसे हो जाते हैं कि मानो चुनाव नहीं बल्कि एक त्यौहार है और लोग इस त्यौहार में खुशियां मनाने नेताओं के सभा और रैली में जाना पसंद करते हैं जिसके लिए कुछ आर्थिक लाभ भी लेते हैं। ऐसे लोगों को यह पता नहीं होता कि उनके एक मतदान से पूरे 5 साल के लिए वह अपनी सरकार चुनते हैं जो उनके अच्छे और भले के लिए काम कर सके।

सूत्रों की माने तो चुनाव में उम्मीदवार अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कुछ राशियों का भी वितरण करने का हथकंडा अपनाते हैं, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण कोरबा जिले के पाली तानाखार विधानसभा में आज देखने को मिला। इस तरह मतदाताओं को रिझाने रुपए देकर अपने पक्ष में मतदान कराना आखिर कहां तक सही है? और वह मतदाता जो रुपए लेकर अपना मतदान कर रहे हैं क्या उनकी यही जिम्मेदारी रह गई है?

आपको बता दे सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत बस्ती में रहने वाले लोगों की होती है जो शत प्रतिशत अपना वोट देते हैं। इसलिए उम्मीदवार भी ऐसी बस्तियों को अपना निशाना बनाते हैं और वहां लोगों को रिझाने के लिए कई हथकंडे भी अपनाते हैं जिसमें नगद राशि वितरण भी शामिल रहता है। अब ऐसे में यह माना जाए कि “जेखर लिए नोट ओला मिलही का वोट” का यही है लोकतंत्र की गोठ?

अंत में BNA परिवार सभी मतदाता भाइयों बहनों से अपील करता है कि वह अपने मतदान का प्रयोग अवश्य करें। मतदान मतलब अपने मतों का दान होता है, किसी भी प्रकार के प्रलोभन में ना आए और अपने निष्ठा, विश्वास और विचार से अपना मतदान करें।

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