कोरबा जिले में जीवनदायनी को भी बचा पाने में जिम्मेदार विफल?
कोरबा – जिले में राखड़ का खेल जमकर चल रहा है। राखड़ की प्रदूषण से जिले में हर कोई त्रस्त है, लेकिन जिम्मेदार विभाग इस गंभीर समस्या को रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम नजर आ रही है। नाकामी की वजह भी लोगों को भली भांति मालूम है।
राखड़ के प्रकोप से जिले की जीवनदायनी हसदेव नदी भी अछूती नहीं है जिसके कई उदाहरण भी देखे गए, शिकायत भी हुई। लेकिन रक्षक ही अगर भक्षक बन जाए तो कौन क्या कर सकता है। जिले में एनजीटी की टीम का दौरा भी हुआ फिर भी राखड़ के दुष्प्रभाव को नहीं रोका जा सका।
आलम यह हो गया है कि राखड़ अब जिले में एक चुनावी मुद्दा भी बन गया है जिसे निपटने के लिए प्रत्याशी अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल भी कर रहे हैं और लोगों का आस्वस्थ भी कर रहे हैं कि अगर हम जीतते हैं तो इस समस्या का भी हल कर देंगे। खैर ये तो चुनावी बात है जो कहा तक सही है यह तो प्रत्यासी के जितने के बाद ही पता चलेगा।
लेकिन एक बात जो की हर किसी के लिए जरूरी है कि अगर जिले में राखड़ के इस तरह के प्रदूषण को अगर नहीं रोका गया तो यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों को कई तरह की गंभीर जानलेवा बीमारी हो जाएगी जिसका उपचार भी करा पाना संभव नहीं होगा।