डॉक्टर ने फोन पर करा दी महिला की डिलीवरी, अब चुकाना होगा 50 लाख रुपए…

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डॉक्टर ने फोन पर करा दी महिला की डिलीवरी, अब चुकाना होगा 50 लाख रुपए…

मध्यप्रदेश – इंदौर के अस्पताल में फोन से बच्चा डिलीवरी करने वाला अजीबो गरीब मामला सामने आया है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से आज जन्मा बच्चा जिंदा तो है लेकिन लाईलाज बीमारी के कारण कुछ नहीं कर सकता है। पीड़ित पक्ष द्वारा अस्पताल के खिलाफ 15 साल चल कैस के बाद उपभोक्ता फोरम ने 50 लाख रुपए पीड़ित पक्ष को देने का फैसला सुनाया है।

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इस मामले को देख रहे हैं वकील ने बताया कि पूरा मामला वर्ष 2006 का है। आकृति बंसल गर्भवती थी जिसका सीएचएल हॉस्पिटल में ट्रीटमेंट शुरू हुआ। ट्रीटमेंट डॉक्टर नीना अग्रवाल ने किया। इसके बाद डॉक्टर के कहने पर गर्भवती को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। आकृति 12 से 13 घंटे तक लेबर पेन में रही तब तक स्पेशलिस्ट डॉक्टर वहां नहीं थे।

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अंततः आकृति को लेबर रूम में शिफ्ट कर दिया गया। तब उनके द्वारा कहा गया कि नॉर्मल डिलीवरी की संभावना है। समय काफी हो चुका था और स्पेशलिस्ट डॉक्टर लेबर रूम में नहीं थे। तब डॉक्टर ने फोन पर स्टाफ को निर्देश दिए देते हुए डिलीवरी करने को कहा। जब स्टाफ द्वारा महिला की डिलीवरी कराई जा रही थी तभी इस दौरान बच्चा अंदर फस गया जिसे वेंटोस और फारसेप का इस्तेमाल करते हुए बाहर निकाला गया। लेकिन इस प्रक्रिया में बच्चे के सिर पर चोट आ गई जिसके कारण उसके सर पर रक्त जम गया।

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रक्त जमने से बच्चे के मस्तिष्क पर ऑक्सीजन नहीं पहुंचने से नवजात को जन्म से ही सेरेब्रल पाल्सी नाम की बीमारी हो गई। यह बीमारी लाईलाज है जिसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है ठीक नहीं होता।

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पीड़ित पक्ष 2 साल तक अपने बच्चे के ठीक होने का इंतजार करते रहे लेकिन बच्चा ठीक नहीं हुआ जिसके बाद बच्चे के माता-पिता ने अस्पताल के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज किया जिसकी सुनवाई करते हुए वर्ष 2023 में उपभोक्ता फोरम का फैसला आया। उपभोक्ता फोरम ने मां और बच्चे के प्रति न्याय करते हुए अध्यक्ष बी के फालूदा ने तत्कालीन सीएचएल अस्पताल प्रबंधन, डॉक्टर नीना अग्रवाल और बीमा कंपनी को 45 लाख से ज्यादा का मुआवजा देने के आदेश दिए हैं, ब्याज सहित मुआवजा रकम चुकाना होगा।

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