रेड की आड़ में बलात्कार और प्रताड़ना, 215 अधिकारियों और कर्मियों को जेल?

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रेड की आड़ में बलात्कार और प्रताड़ना, 215 अधिकारियों और कर्मियों को जेल?

तमिलनाडु – रेड की आड़ में तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के एक आदिवासी गांव के 18 महिलाओं के साथ बलात्कार और प्रताड़ना के आरोप में मद्रास हाई कोर्ट ने पुलिस और वन विभाग के 215 अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी पाया है जिन्हें जेल भेजने का आदेश दिया है, साथ ही इस मामले में जिले के तत्कालीन कलेक्टर, जिला वन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

31 साल पुराने मामले में बड़ा फैसला…

पूरी घटना 20 जून 1992 की है इसी दिन तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले के आदिवासी गांव में चंदन तस्करी का की जानकारी मिली थी जिसकी रेड करने वन, राजस्व एवं पुलिस के अधिकारी पहुंचे हुए थे। लेकिन ग्रामीणों ने इन अधिकारियों पर अत्याचार करने और महिलाओं के साथ बलात्कार करने जैसे संगीन आरोप लगाए थे जिसमें 18 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था।

मद्रास हाईकोर्ट ने इन 18 महिलाओं के साथ हुए बलात्कार और उत्पीड़न के मामले में वन, पुलिस और राजस्व विभाग से जुड़े हुए अधिकारियों को दोषी पाया। इसके बाद उन्होंने यह फैसला दिया है।

फूड पॉयजनिंग से एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत, गांव में छाया मातम..

जस्टिस पी वेलमुरूगन ने 29 सितंबर को आरोपियों की सभी अपीलों को खारिज कर दिया और आदेश देते हुए कहा कि अदालत ने पाया है कि सभी पीड़ितों के सबूत और अभियोजन पक्ष के गवार ठोस और विश्वसनीय है, दोषी ठहराए गए लोगों से 5 लाख रुपए वसूल किए जाएंगे। अदालत ने तमिलनाडु सरकार को भी निर्देश दिए हैं कि वह हर पीड़िता को 10 लाख रुपए का मुआवजा और रोजगार दें। इसके अलावा गांव में लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा कहा गया है।

अदालत ने यह भी कहा कि सारे साक्ष्य स्पष्ट थे फिर भी तत्कालीन जिला कलेक्टर, जिला वन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक समय रहते उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई और दोषियों को बचाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को प्रताड़ित किया गया। इसलिए उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है।

2000 रुपए के नोट को बदलने की बढ़ी तिथि…

1995 में इस मामले की सीबीआई जांच की गई थी जिसके बाद कई वरिष्ठ अधिकारियों समय 269 आरोपियों के खिलाफ चार्ज सीट दायर की गई थी। धरमपुरी की एक सेशन कोर्ट ने 2011 में इसी मामले में 126 कर्मियों को दोषी ठहराया गया था जिसमें चार भारतीय वन सेवा अधिकारी, 84 पुलिसकर्मी और पांच राजस्व विभाग के अधिकारी शामिल थे।

69 अधिकारियों में से 54 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई और शेष 215 को 1 से 10 साल तक जेल की सजा सुनाई गई थी। अधिकांश दोषियों ने हाई कोर्ट में राहत की अपील की थी। बीते 29 सितंबर को हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसलों को बरकरार रखा और सजा की बची अवधि काटने के लिए सभी आरोपियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया।

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