अमान्य विवाह से उत्पन्न हुए संतान भी होंगे पिता की संपत्ति के अधिकारी

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अमान्य विवाह से उत्पन्न हुए संतान भी होंगे पिता की संपत्ति के अधिकारी

हिंदू विवाह कानून में जिस विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिली हो, उससे पैदा हुए बच्चों की भी माता-पिता की पैतृक में संपत्ति में हिस्सेदारी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह साफ कर दिया। इसके साथ ही, हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत प्राप्त यह अधिकार अब अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी मिल गया है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत किसी विवाह को दो आधार पर अमान्य माना जाता है- एक विवाह के दिन से ही, दूसरे जिस दिन अदालत अमान्य घोषित कर दे। ऐसे विवाह से पैदा हुए बच्चों को माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग को लेकर एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसले में कहा कि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को भी मां-पिता के वैध संतान का दर्जा मिलेगा और इस तरह वो उनकी पैतृक संपत्ति का हकदार होगा।

सीजेआई ने सभी पक्षों की दलीले सुनने के बाद कहा कि उनकी बेंच ने फैसला ले लिया है। उन्होंने चार बिंदुओं में अपना फैसला सुनाया। सीजेआई ने कहा-
1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 16 के उप-धारा 1 के तहत अमान्य विवाह के तहत पति-पत्नी के बच्चे कानून की नजर में वैध हैं।
2. उप-धारा 2 के तहत अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे वैध हैं।
3. चूंकि अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चे भी वैध हैं, इसलिए उनका अपने माता-पिता की संपत्ति में हक होगा।
4. जो बच्चा उप-धारा 1 या 2 के तहत वैध बच्चे का हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की नजर में वैध संबंध होगा।

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