7 साल में 1935 आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन:इस कार्रवाई में यूपी 7 राज्यों में सबसे आगे; MP दूसरे, हरियाणा तीसरे नंबर पर

Must Read

देश में किसी आरोपी की संपत्ति रातों-रात जमींदोज किए जाने का अभी कोई कानून नहीं बना है। फिर भी देश के कई राज्यों में बुलडोजर से आरोपियों की संपत्तियां ढहाई गई हैं। भले ही राज्य सरकारें ये दावा करें कि आरोपी होने की वजह से किसी के घर पर बुलडोजर नहीं चलवाया गया, पर हकीकत इससे उलट है।

भास्कर ने अपनी पड़ताल में पाया कि पिछले 7 साल में 7 राज्यों में 1,935 आरोपियों की संपत्तियों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया गया। इसमें 1535 कार्रवाई सिर्फ यूपी में हुईं। बुलडोजर एक्शन मामले में दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश और तीसरे पर हरियाणा है।

यूपी में 2017 में बुलडोजर एक्शन की शुरुआत 13 बाहुबली हिस्ट्रीशीटरों के मकानों को ढहाकर की गई थी। 2020 में बिकरू कांड में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम देने वाले गैंगस्टर विकास दुबे की 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्तियों पर बुलडोजर एक्शन कर उन्हें जमींदोज किया गया। सभी में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को कार्रवाई का कारण बताया गया।

माफिया मुख्तार अंसारी की 300 करोड़ की संपत्तियों को भी बुलडोजर से ध्वस्त किया गया। गैंगरेप के मामले में जब सपा नेता मोइन खान गिरफ्तार हुए तो अयोध्या में उनके शापिंग काॅम्पलेक्स की 40 दुकानों को बुलडोजर से ढहाया गया। कन्नौज गैंगरेप के आरोपी पूर्व ब्लाॅक प्रमुख नवाब सिंह यादव के कोल्ड स्टोरेज को भी ढहाया गया था।

मध्य प्रदेश में पिछले ढाई साल में 259 आरोपियों के घरों पर बुलडोजर एक्शन हुआ है। इनमें 160 आरोपी मुस्लिम थे और 99 हिंदू। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हाल ही में एक सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता ने यह जानकारी दी।

इस पर केंद्र सरकार के वकील सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने मध्य प्रदेश में हाल ही में 70 दुकानों पर हुए बुलडोजर एक्शन का हवाला दिया। बताया कि उन दुकानों में 50 हिंदुओं की थीं। ऐसे में यह तर्क गलत है कि एक्शन केवल मुस्लिम समुदाय पर हो रहा है।

मध्य प्रदेश के रतलाम के मदारीपुरा निवासी मोहम्मद हुसैन ने सुप्रीम कोर्ट में बुलडोजर एक्शन से तबाह हुई जिंदगी की दास्तान सुनाई। हुसैन ने कहा- ‘मेरे बेटे को अभी कोर्ट से दोषी करार नहीं दिया गया और जिला प्रशासन ने एफआईआर में नाम आते ही उसे दोषी मान लिया। मैं दिहाड़ी पर बोझा उठाने का काम करके 7 सदस्यों का परिवार पाल रहा हूं।

5 जनवरी 1990 में मेरे दादा नूर मोहम्मद ने 180 गज जमीन खरीदी थी। इसे उन्होंने अपने 5 बेटों में बराबर बांटने को कहा। मेरे पिता बुलबुल के हिस्से में 36 गज जमीन आई। मगर तीसरी पीढ़ी की आपस में नहीं बनी तो करीब 10 सालों तक मुकदमा लड़ा। कब्जा मिला। इसे बनाने में पूरी जमा पूंजी लगा दी।

13 जून 2024 को किसी ने गोवंश का मांस किसी मंदिर में फेंक दिया। 14 जून को पुलिस बेटे को पूछताछ के लिए ले गई। उसी शाम नगर निगम के अफसरों ने बिना नोटिस दिए हमारा घर ढहा दिया। मकान में रखा सारा सामान फर्नीचर इत्यादि सब नष्ट हो गए। उस रात मैं व मेरे परिवार के लोग मकान के सामने ही खुले आसमान में सोए।’

राजस्थान के उदयुपर में खांजीपीर निवासी राशिद खान ने बुलडोजर जस्टिस के कारण उस पर हुए अन्याय को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है। राशिद ने बताया, ‘मैं ऑटो चलाकर परिवार का पेट पालता हूं। सालों तक ऑटो चलाकर अपनी जमापूंजी से 26 फरवरी 2019 को दिवानशाह कालोनी में एक सिंगल स्टोरी मकान खरीदा था। इसमें दो किराएदार रहते हैं।

इनसे महीने में 7 हजार रुपए किराया आता है, जिससे गुजर-बसर में मदद मिलती है। इस मकान में एक किराएदार सलीम शेख भी परिवार के 4 सदस्यों के साथ रहता है। 16 अगस्त 2024 को किराएदार के नाबालिग बेटे ने अपने स्कूल के एक छात्र को चाकू मार दिया। इससे पूरे क्षेत्र में सांप्रदायिक हिंसा व तनाव हो गया। 16 अगस्त की रात को मकान पर नोटिस लगा दिया। 20 अगस्त को मकान ढहा दिया।’सुप्रीम कोर्ट की वकील फौजिया शकील ने कहा-

दिल्ली हाई कोर्ट के वकील मनीष भदौरिया ने कहा-

अगर किसी मकान मालिक को अवैध निर्माण ढहाने का नोटिस मिलता है ताे उसे 30 दिन में प्राधिकरण के चेयरमैन या कोर्ट के समक्ष अपील करनी होती है। वहां से नोटिस में बदलाव या इस पर रोक लग सकती है।

प्राधिकरण अगर रोक नहीं लगाता है तो ऐसी सूरत में भी मकान मालिक अपने भवन को बचाने के लिए अदालत में याचिका दायर कर नोटिस व कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने की मांग कर सकता है। रातोंरात मकान नहीं ढहाया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को राज्यों में बुलडोजर एक्शन के मामले पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने 1 अक्टूबर तक बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक देश में एक भी बुलडोजर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

अदालत ने कहा कि हम स्पष्ट कर दें कि इस ऑर्डर में सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइंस के अवैध अतिक्रमण नहीं शामिल हैं। केंद्र ने इस ऑर्डर पर सवाल उठाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के हाथ इस तरह नहीं बांधे जा सकते हैं।

Latest News

बांकीमोंगरा नगर पालिका के सेटअप और विकास कार्यों के लिए उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात

नवनिर्मित बांकीमोंगरा नगर पालिका के विकास कार्यों को लेकर कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल के नेतृत्व में बांकीमोंगरा नगर पालिका...

More Articles Like This