आप सभी जानते हैं कि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है, जिस अवसर पर जगदलपुर के सहजयोगियों ने मालगांव के प्राथमिक शाला , पूर्व माध्यमिक विद्यालय स्कूल के शिक्षक एवं स्कूली बच्चों को, सूर्या कॉलेज जगदलपुर के प्रोफ़ेसर एवं सभी विद्यार्थियों को एवं अशोक लीलैंड में कार्यरत सभी कर्मचारियों को सहजयोग विधि से ध्यान कराया गया और सभी को आत्मसाक्षात्कार मिला ,
सहजयोगी श्री कन्हैया साहू ने सहजयोग ध्यान विधि से ध्यान करने से अपनी दैनिक जीवन में होने वाले फायदे के बारे में बताया उसके पश्चात सहजयोग ध्यान एवं सहजयोग की संस्थापिका श्री माताजी निर्मला देवी जी की परिचय देते हुए कहा कि..
श्रीमाताजी निर्मला देवी जी द्वारा 05 मई 1970 में प्रस्थापित सहजयोग आज विश्व के 140 से भी अधिक देशों में निःशुल्क किया जा रहा है । इसे सभी धर्म , जाति , सम्प्रदाय , वर्ण एवं व्यवसाय के लोगों ने अपनाया है और लाभान्वित हो रहें हैं ,
सहजयोग श्रीमाताजी की मानवता को एक महान देन है , सहजयोग आत्मज्ञान को प्राप्त करने की अत्यंत सरल , सुलभ एवं सहज ध्यान पद्धति है । यह परमात्मा की सर्वव्यापक शक्ति से जुड़ने का एकमात्र सरल एवं सिद्धमार्ग है , अधिकतर लोग जानते हैं कि परमात्मा का निवास हमारे अंदर है , परंतु बहुत कम लोगों ने इसका अनुभव किया है । परमात्मा के सर्वव्यापक शक्ति का प्रतिबिंब कुंडलनी के रूप में हर व्यक्ति के मेरुदण्ड (रीढ़ की हड्डी) के निचले छोर पर स्थित पवित्र त्रिकोणाकार अस्थि में सुप्तावस्था में विद्धयमान है । इस ईश्वरीय शक्ति के जागृत होने पर मानव को सुंदर एवं सृजनात्मक व्यक्तित्व , उत्तम स्वास्थ्य , अंतर्जात प्रतिभा का निखार खिल उठना तथा परमात्मा द्वारा पथ-प्रदर्शन प्राप्त हो जाता है और परिणामतः मानव, तनाव रहित जीवन , निःस्वार्थ प्रेम एवं आनन्द की स्थिति में आ जाता है ।
परम् पूज्य श्रीमाताजी निर्मला देवी जी ने स्वयं भारत सहित कई बड़े देशों में सहजयोग के कार्य किए , और आम मानव सहित डॉक्टर एवं वैज्ञानिकों ने सहजयोग को अपनाया ।
श्री माताजी को उनके निस्वार्थ कार्य के लिए और सहजयोग ध्यान के माध्यम से उनकी आध्यात्मिक शिक्षाओं के उल्लेखनीय परिणामों के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा दुनिया भर में मान्यता दी गई है, जिनमें से कुछ प्रमुख नीचे दिए गए हैं।
इटली, 1986
इतालवी सरकार द्वारा घोषित ‘पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर’।
मास्को, रूस, 1989
यूएसएसआर स्वास्थ्य मंत्री के साथ श्री माताजी की बैठक के बाद, सहज योग को पूर्ण सरकारी प्रायोजन प्रदान किया गया, जिसमें वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए धन भी शामिल था।
न्यूयॉर्क, 1990-1994
विश्व शांति प्राप्त करने के तरीकों और तरीकों के बारे में बोलने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा लगातार चार वर्षों तक आमंत्रित किया गया।
सेंट पीटर्सबर्ग, रूस, 1993
पेट्रोव्स्काया अकादमी के कला और विज्ञान के मानद सदस्य के रूप में नियुक्त। अकादमी के इतिहास में, केवल बारह लोगों को यह सम्मान दिया गया है, आइंस्टीन उनमें से एक हैं। श्री माताजी ने चिकित्सा और आत्म-ज्ञान पर पहले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया, जो उसके बाद अकादमी में एक वार्षिक कार्यक्रम बन गया।
ब्राजील, 1994
ब्राजीलिया के मेयर ने श्री माताजी का हवाई अड्डे पर स्वागत किया, उन्हें शहर की चाबी भेंट की और उनके सभी कार्यक्रमों को प्रायोजित किया।
न्यूयॉर्क, 1994
26 सितंबर को श्री माताजी निर्मला देवी दिवस ’की घोषणा की गई। श्री माताजी का सम्मान करने और महात्मा गांधी के साथ उनके सम्मान का जश्न मनाने के लिए एक पुलिस परेड का स्वागत किया गया।
ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा, 1994
स्वागत पत्र कनाडा के लोगों की ओर से ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के प्रमुख श्री माइक हरकोर्ट द्वारा दिया गया था।
रोमानिया 1995
पारिस्थितिक विश्वविद्यालय बुखारेस्ट के प्रमुख प्रोफेसर डी। ड्रिमर द्वारा संज्ञानात्मक विज्ञान में मानद डॉक्टरेट से सम्मानित।
चीन, 1995
संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन में बोलने के लिए चीनी सरकार की आधिकारिक अतिथि।
पुणे, भारत, 1996
संत ज्ञानेश्वरा की 700 वीं वर्षगांठ के अवसर पर, श्री माताजी ने ‘विश्व दर्शनशास्त्र मीट ’96 – एक संसद ऑफ साइंस, धर्म और दर्शनशास्त्र, जहां उन्हें उनके आध्यात्मिक आंदोलन, सहज योग के लिए सम्मानित किया गया था।
लंदन, 1997
संयुक्त पृथ्वी और द नेशनल सोसाइटी ऑफ हाई स्कूल के विद्वानों के अध्यक्ष, अल्फ्रेड नोबेल के दादा, श्री क्लेज़ नोबेल, ने रॉयल अल्बर्ट हॉल में एक सार्वजनिक भाषण में श्री माताजी के जीवन और कार्य को सम्मानित किया।
नोट:- सहजयोग सभी के लिए निःशुल्क है ।
सहजयोग ध्यान से जुड़ने के लिए संपर्क करें –
8839159343 , 7999092125
पता – प्रत्येक रविवार, नगर निगम कर्मचारी सामुदायिक भवन , विरसावरकर भवन के सामने जगदलपुर बस्तर।
आज के इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से शामिल हुए – दुर्गेश खेवार, कन्हैया साहू , घनश्याम उपाध्याय, सीमांचल पटनायक, भरत जगम, किशोर जोशी एवं चित्रेखा खेवार दीदी उपस्थित हुए।