कोरबा। कोरबा जिले में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) के निर्माण और मशीनरी की खरीदी में भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आई है। आरोप है कि इस परियोजना में जिला पंचायत और संबंधित जनपद पंचायतों के अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर अनाधिकृत फर्म M/S RAM SAA ALLIED INTERPRISE PRIVATE LIMITED के साथ मिलीभगत कर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की है। इस मामले में कलेक्टर के समक्ष शिकायत पत्र प्रस्तुत किया गया है और एक जिला स्तरीय जांच टीम गठित कर कार्रवाई की मांग की गई है।
शिकायतकर्ता जितेंद्र कुमार साहू द्वारा लगाए गए आरोपों के अनुसार, रीपा योजना के निर्माण में नूतन कंवर (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत कोरबा), निशांत पाण्डेय (लेखा अधिकारी, जिला पंचायत) और उक्त फर्म के निदेशक पर नियमों की अवहेलना कर भ्रष्टाचार करने का आरोप है। इस मामले में कोरबा, कटघोरा, पाली, पोड़ी उपरोड़ा, करतला और अन्य क्षेत्रों के जनपद पंचायतों के अधिकारियों पर भी जांच की मांग की गई है।
भ्रष्टाचार का आरोप
शिकायत के मुताबिक, कोरबा जिले के चयनित ग्राम पंचायतों जैसे चिर्रा, सराईडीह, पहन्दा, रंजना, नोनबिर्रा, कापूबहरा और सेमरा में रीपा योजना के निर्माण में अनियमितताएं की गई हैं। आरोप है कि महिला स्व-सहायता समूहों को दबाव में गुमराह कर करोड़ों रुपये की राशि का दुरुपयोग किया गया।
फर्म को एकतरफा लाभ पहुँचाने का आरोप
शिकायत के अनुसार, अधिकारियों ने फर्म M/S RAM SAA ALLIED INTERPRISE PRIVATE LIMITED को एकमुश्त लाभ पहुँचाने के लिए निविदा प्रक्रिया को दरकिनार किया। फर्म को अनाधिकृत रूप से रीपा भवन निर्माण, मशीनरी और सामग्री की खरीदी में शामिल किया गया, जो कि नियमों के विपरीत था।
जांच की मांग
जितेंद्र कुमार साहू ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि रीपा योजना में हुए घोटाले की जांच हेतु एक जिला स्तरीय जांच टीम गठित की जाए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों, फर्म के निदेशक, सरपंच और सचिवों से बैंक स्टेटमेंट और बिलों का स्पष्टीकरण लेकर सूक्ष्म जांच करने की मांग की है।
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, भ्रष्टाचार में संलिप्त फर्म RAM SAA को तकनीकी सहायक एजेंसी के रूप में चयनित किया गया था, जिसके कार्य में विफल रहने का आरोप है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि रीपा योजना के तहत कोरबा जिले में परियोजना का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय युवाओं और महिला स्व-सहायता समूहों के लिए आजीविका का संसाधन उपलब्ध कराना था, लेकिन परियोजना के जिम्मेदार अधिकारियों ने अनियमितताओं के चलते इस उद्देश्य को विफल कर दिया।
अब देखना यह है कि इस मामले में जिला प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करता है और भ्रष्टाचार के इन आरोपों की जांच किस दिशामें आगे बढ़ती है।