16 हत्याएं, शरीर के किए कई टुकड़े, अब आरोपी 15 साल बाद बरी, सीबीआई की जांच पर सवाल…

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16 हत्याएं, शरीर के किए कई टुकड़े, अब आरोपी 15 साल बाद बरी, सीबीआई की जांच पर सवाल…

उत्तरप्रदेश – निठारी कांड में हुई हत्याओं के मामले में आरोपित लोगों को हाई कोर्ट ने बरी करते हुए जांच एजेंसी सीबीआई की कार्यशैली पर गंभीर सवाल किए हैं। 308 पेज के आदेश में कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा जांच एजेंसियों ने विवेचना के बुनियादी सिद्धांतों का भी ख्याल नहीं रखा। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसी सबूत तक नहीं जुटा पाए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने यह कहते हुए निठारी कांड में हुई हत्याओं के आरोपी को बरी किया है कि अंग व्यापार जैसे उद्देश्य हो सकते थे। लेकिन सीबीआई ने इस पर गौर नहीं किया, वह भी तब जब घटनास्थल के पास ही रहने वाला एक डॉक्टर किडनी कांड में पहले गिरफ्तार किया गया था। इतना सब कुछ होने के बाद भी सीबीआई के इस दिशा में जांच नहीं करने पर कोर्ट ने हैरानी जताई। बहुचर्चित निठारी कांड के आरोपियों को अब हाई कोर्ट ने बड़ी कर दिया है।

क्या था पूरा मामला…

निठारी कांड के मुख्य आरोपी बनाए गए सुरेन्द्र कोली पर आरोप था कि उसके द्वारा 16 हत्यायें की गई थी, वह पीड़ितों को ललचाता था, घर में लाता था, हत्या करता था और उनके साथ दुष्कर्म जैसी कृत्य भी करता था, उसके बाद उनके शरीर के कई टुकड़े कर उन्हें पकता और खाता भी था, बाकी अवशेष को बैग में भरता था और नाली में बहा देता था। इस हत्याकांड में मोनिंदर सिंह पंढेर को भी सह अभियुक्त बनाया था।

इस पूरे घटना का मुख्य पहलू यह था कि 9 जनवरी 2007 को निठारी हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी जिसमें दो ही दिन बाद सारी जांच अपने हाथ में सीबीआई ने ले ली थी, एफआईआर भी फिर से लिखी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि कोहली को 29 दिसंबर 2006 को गिरफ्तार किया गया था। अगले लगातार 7 दिन उसे यूपी पुलिस और फिर सीबीआई ने हिरासत में रखा। मार्च 2007 को उसने एक इकबालिया बयान दिया। लेकिन एक सातवीं तक पढ़े आरोपी का यह बयान शक जताने वाली परिस्थितियों में आया।

कोहली के बयान के अनुसार 16 हत्या करने के दौरान कोहली किसी स्वचालित अवस्था में पहुंच जाता था। वह पीड़ितों को ललचाता, घर लाता, हत्या करता, उनके साथ दुष्कर्म करता, शरीर के कई टुकड़े करता, उन्हें पकता और खाता था, बाकी शेष अवशेष को बैग में भरता और नाली में बहा देता था। लेकिन इन 16 घटनाओं के दौरान किसी ने घर का दरवाजा नहीं खटखटाया, यह सब बेहद अजीब लगता है।

इन 16 घटनाओं में वह एक बार भी सफल नहीं हुआ, यह शत प्रतिशत सफलता पूरी तरह मानने योग्य नहीं लगती। आरोपी के बयान के अनुसार वह बांग्ला नंबर डी 5 में हत्या करता था, जहां फॉरेस्ट्री जांच में खून के कोई निशान भी नहीं मिले।

कोली और पंढेर को 13 फरवरी 2009 को गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा हुई थी। हाईकोर्ट ने 11 जुलाई 2009 को कोहली की सजा कायम रखी लेकिन पंढेर को बरी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2011 को सजा के खिलाफ कोहली की अपील खारिज कर दी। इसके बाद दोनों की दया याचिका राष्ट्रपति ने खारिज की। 2015 में हाई कोर्ट में कोहली की मौत की सजा उम्र कैद में बदल दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे कायम रखा इसलिए, उसे जेल में ही रहना होगा।

इस तरह होती रही जांच….

29 दिसंबर 2006 को नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले में 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार किए गए। 8 फरवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया। मई 2007 को सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोप मुक्त कर दिया। दो माह बाद कोर्ट की फटकार के बाद फिर पंढेर को सहअभियुक्त बनाया गया। 13 फरवरी 2009 को सीबीआई कोर्ट ने पंडित और कोहली को 15 वर्षीय किशोरी की अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए पहली बार फांसी की सजा सुनाई।

3 सितंबर 2014 को कोहली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट जारी किया। 4 सितंबर 2014 को कोहली को गाजियाबाद की डासना जेल से फांसी देने के लिए मेरठ जेल ले जाया गया। 12 सितंबर 2014 को फांसी से पहले रात को ही वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप ने कोली को मृत्युदंड देने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा। 12 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा पर अक्टूबर 29 तक के लिए रोक लगाई। 28 अक्टूबर 2014 को सुरेंद्र कोहली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया, 2014 में राष्ट्रपति ने भी याचिका रद्द कर दी।

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