Thursday, September 4, 2025

कोरबा में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने भव्य रूप से मनाया भोजली तिहार, हजारों लोगों ने लिया हिस्सा

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कोरबा छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना गैर राजनीतिक संगठन ने कोरबा में प्रदेश स्तरीय भोजली तिहार का भव्य आयोजन किया। इस लोक पर्व के अवसर पर आयोजित समारोह में हजारों लोगों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया, जिसने कोरबा की सड़कों को छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति के रंगों से सराबोर कर दिया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन और खेती-किसानी मीत – मितान से जुड़े भोजली तिहार की महत्ता को उजागर करने का एक शानदार मंच साबित हुआ।

सांस्कृतिक झांकियों और कार्यक्रमों ने बिखेरी नई अंजोर
सुबह 11:00 बजे से शुरू हुए इस भव्य आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का दौर शाम 7:00 बजे तक चला। रंगारंग झांकियों के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति, परंपराएं और ग्रामीण जीवनशैली को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया। पारंपरिक नृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। इसके बाद आयोजित भव्य भोजली रैली ने शहर में उत्सव का माहौल और भी प्रबल कर दिया। रैली में शामिल प्रतिभागियों ने छत्तीसगढ़ी वेशभूषा और परंपरागत प्रतीकों के साथ अपनी सांस्कृतिक पहचान को गर्व के साथ प्रदर्शित किया।

प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाया उत्साह
इस आयोजन में छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रमुख नेताओं और सांस्कृतिक हस्तियों ने शिरकत की। विशेष रूप से रामगुलाम ठाकुर, धीरेन्द्र साहू, मोनी कटौतेर और छत्तीसगढ़ी सिनेमा के लोकप्रिय स्टार राज साहू की उपस्थिति ने कार्यक्रम में चार चांद लगाए। इन हस्तियों ने न केवल आयोजन की शोभा बढ़ाई, और कार्यक्रम का मंच संचालन अंजलि महंत और जिला संयोजक अतुल दास महंत द्वारा किया गया और इसी अवसर पर मनीष मनचला द्वारा मधुर गायकी से दर्शकों का मन मोह लिया काबल्कि अपने संबोधन में छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने की अपील भी की।

भोजली तिहार: छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
भोजली तिहार छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख लोक पर्व है, जो खेती-किसानी और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व में गेहूं के बीज को मिट्टी के पात्र में उगाकर प्रकृति और समृद्धि के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। इस आयोजन ने न केवल इस परंपरा को जीवंत रखा, बल्कि शहरी और ग्रामीण समुदायों को एक मंच पर लाकर सांस्कृतिक एकता को भी मजबूत किया।

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का यह प्रयास न केवल सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने में सफल रहा, बल्कि कोरबा को एक बार फिर छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण रहा। स्थानीय लोगों और आयोजकों ने इस आयोजन को एक ऐतिहासिक सफलता बताते हुए इसे भविष्य में और बड़े स्तर पर आयोजित करने की योजना बनाई है। यह उत्सव छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का एक शानदार उदाहरण बन गया है।

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