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बस्तर। आदिवासी नेता कोमल हुपेण्डी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्रदेश की कुल जनसंख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज की बड़ी भागीदारी के बावजूद नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में आरक्षण कम किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
कोमल हुपेण्डी ने कहा कि यह निर्णय बस्तर में संवैधानिक अधिकारों व सामाजिक व्यवस्था पर कुठाराघात करने का कुत्सित प्रयास है।उन्होंने लोकसभा,राज्यसभा व विधानसभा के लिए बस्तर से निर्वाचित प्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि इनके कमजोर नेतृत्व क्षमता का परिणाम है कि आज प्रदेश की बड़ी जनसंख्या वाले समाज को सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ रहा है।कोमल हुपेण्डी ने कहा इस अधिकार की लड़ाई में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज अकेला नहीं है बल्कि पूरा बस्तर इस संघर्ष में साथ है।सरकार को यह समझ लेनी चाहिए बस्तर के मूल निवासी अधिकार मांगना ही नहीं जानती बल्कि छीनकर लेना भी जानती है।हुपेण्डी ने कहा कि पिछड़ा वर्ग समाज के अधिकारों के लिए हम कंधे से कंधे मिलाकर संघर्ष करेंगे।