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रायपुर, 6 अक्टूबर – प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अधिकारियों द्वारा व्यापारी हेमंत चंद्राकर के साथ की गई कथित मारपीट और उत्पीड़न के मामले में आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।
पीड़ित द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिया कि इस मामले में संबंधित ED अधिकारियों के विरुद्ध सक्षम मजिस्ट्रेट की अदालत में आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। साथ ही, अदालत ने यह भी निर्देशित किया कि हेमंत चंद्राकर का विधिवत चिकित्सकीय परीक्षण कराया जाए, ताकि उत्पीड़न के आरोपों की पुष्टि की जा सके।
प्रथम दृष्टया गंभीर लापरवाही के संकेत
न्यायालय के इस निर्णय से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ED जैसी केंद्रीय एजेंसी पर लगे आरोपों को अदालत ने गंभीरता से लिया है और प्रथम दृष्टया इसमें अनियमितता और अत्याचार की संभावनाएं देखी हैं।
छत्तीसगढ़ पुलिस पर भी सवाल
इस पूरे घटनाक्रम में छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। न्यायालय के निर्देशों के बाद अब उन पुलिसकर्मियों को भी सतर्क हो जाना चाहिए, जो कथित रूप से राजनीतिक दबाव या पक्षपात के चलते कानून से परे जाकर कार्यवाही में शामिल हुए हैं।
एक महत्वपूर्ण मिसाल
यह आदेश न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है – चाहे वह कितनी भी शक्तिशाली संस्था क्यों न हो।
न्याय की ओर एक नई सुबह
यह फैसला उन सभी नागरिकों के लिए आशा की किरण है जो यह मानते हैं कि न्यायालय ही अंतिम भरोसे की जगह है। जैसे-जैसे सच्चाई सामने आएगी, वैसे-वैसे उन चेहरों से भी पर्दा उठेगा जो सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग हो रहा है