हरियाणा में BJP उम्मीदवार ने नामांकन वापस लिया:भाजपा ने गोपाल कांडा को समर्थन दिया; बोले- संगठन का आदेश, कांग्रेस को हराएंगे

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हरियाणा में सिरसा विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रोहताश जांगड़ा ने नामांकन वापस ले लिया है। सोमवार सुबह भाजपा ने अचानक गुप्त मीटिंग बुलाई और रोहताश जांगड़ा के नामांकन वापसी पर फैसला हुआ। भाजपा इस सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी के उम्मीदवार गोपाल कांडा को समर्थन दिया है। जिन्हें इनेलो और बसपा ने भी पहले से समर्थन दे रखा है।

रोहताश जांगड़ा ने कहा- संगठन के आदेश पर नामांकन वापस लिया गया है। हम मिलकर कांग्रेस पार्टी को हराएंगे।

उधर, एक दिन पहले गोपाल कांडा ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि वह अब भी  का हिस्सा हैं। जीतने के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। उनका परिवार शुरू से ही  से जुड़ा हुआ है। पिता मुरलीधर कांडा जनसंघ की टिकट पर 1952 में डबवाली सीट से चुनाव लड़ चुके हैं और मेरी माता आज भी भाजपा को ही वोट डालती हैं।

इससे पहले भाजपा कुरुक्षेत्र की पिहोवा सीट से उम्मीदवार भी बदल चुकी है। यहां कवलदीप सिंह अजराना की जगह पर जय भगवान शर्मा डीडी को भाजपा ने टिकट दे दी थी।

राज्य में 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्टूबर को वोटिंग होनी है। रिजल्ट 8 अक्टूबर को आएगा। आज नामांकन वापसी का आखिरी दिन है।

सिरसा में गोपाल कांडा के निवास स्थान पर हलोपा और इनेलो के गठबंधन की जानकारी देते अभय सिंह चौटाला।
सिरसा में गोपाल कांडा के निवास स्थान पर हलोपा और इनेलो के गठबंधन की जानकारी देते अभय सिंह चौटाला।

 गोपाल कांडा 2019 में सिरसा सीट से विधायक बने थे। जिसके बाद उन्होंने भाजपा को समर्थन दे दिया। 2024 विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के दौरान चर्चा थी कि भाजपा गोपाल कांडा को सिरसा सीट दे सकती है। हालांकि भाजपा ने यहां रोहताश जांगड़ा को उम्मीदवार घोषित कर दिया।

अगले ही दिन गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा और इंडियन नेशनल लोकदल  में गठबंधन हो गया।  पहले ही बहुजन समाज पार्टी  के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। जिसके बाद इनेलो के प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला ने गोपाल कांडा को सिरसा सीट से गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया।

 गठबंधन के बाद गोपाल कांडा ने कहा था कि सिरसा के अंतर्गत आने वाले रानियां और ऐलनाबाद में हलोपा का जनाधार है। ऐलनाबाद उपचुनाव में भाई गोबिंद कांडा को अच्छे वोट मिले थे। इसलिए अभय चाहते हैं कि हलोपा ऐलनाबाद और रानियां में इनेलो की मदद करे, बदले में वह सिरसा में मदद करेंगे। हम दोनों ही पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ हैं।

कांडा ने कहा कि मैंने कभी भाजपा से कोई सीट नहीं मांगी। हमारा शुरू से ही बिना शर्त समझौता है। इस बार हरियाणा में कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा की सरकार आएगी। भाजपा प्रदेश में जीत की हैट्रिक बनाएगी और हमारा गठबंधन भाजपा को सपोर्ट करेगा।

सिरसा में गोपाल कांडा के सामने कांग्रेस के गोकुल सेतिया उम्मीदवार हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में सेतिया ने कांडा को कड़ी टक्कर दी थी।
सिरसा में गोपाल कांडा के सामने कांग्रेस के गोकुल सेतिया उम्मीदवार हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में सेतिया ने कांडा को कड़ी टक्कर दी थी।

 सिरसा सीट पर गोकुल सेतिया कांग्रेस उम्मीदवार हैं। 2019 विधानसभा चुनाव में गोकुल सेतिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और गोपाल कांडा को कड़ी टक्कर दी। कांडा महज 603 वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे। गोकुल सेतिया पूर्व विधायक लक्ष्मण दास अरोड़ा के नाती हैं। अरोड़ा 5 बार विधायक रह चुके हैं। गोकुल की मां सुनीता सेतिया ने 2014 में भाजपा के टिकट पर सिरसा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गई थीं।

 विधानसभा चुनाव 2024 से ऐन पहले भाजपा सरकार को समर्थन दे रहे कांडा ने भाजपा को मुश्किलों में डाल दिया था। सिरसा विधानसभा सीट से हलोपा विधायक गोपाल कांडा ने दिल्ली पहुंच हरियाणा भाजपा के चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की। उस समय चर्चा थी कि कांडा ने भाजपा हाईकमान के आगे 15 विधानसभा सीटों पर भाजपा-हलोपा गठबंधन के तहत उम्मीदवार उतारने की मांग रखी थी।

हालांकि इससे पहले पंचकूला में आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह साफ कर चुके थे कि भाजपा हरियाणा में अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। गोपाल कांडा ने धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की तस्वीरें भी साझा की थी।

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से दिल्ली में मिले गोपाल कांडा।

 गोपाल कांडा के दिल्ली से लौटने के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सिरसा के दौरे पर गए थे। वे सबसे पहले सिरसा में गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे। दौरे के दौरान नायब सैनी ने मीडिया को यह कहकर चौंका दिया था हरियाणा में भाजपा गोपाल कांडा की हलोपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि गोपाल कांडा की हलोपा, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का हिस्सा है।

सिरसा दौरे के दौरान गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे सीएम नायब सैनी।
सिरसा दौरे के दौरान गोपाल कांडा के आवास पर पहुंचे सीएम नायब सैनी।

 हरियाणा में टिकट वितरण के बाद में बगावत शुरू हो गई थी। चुनाव के दौरान इस बगावत को देखते हुए भाजपा के दिल्ली में बैठे नेता भी अलर्ट हो गए थे। इसे लेकर दिल्ली में एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई गई। इस मीटिंग में उन सीटों पर चर्चा की गई जिनपर बगावत हो रही थी। उधर, सिरसा में मंत्री रणजीत चौटाला के बगावती सुर भी देखने को मिले थे। जिसके चलते हलोपा मुखिया गोपाल कांडा को भी दिल्ली में तलब कर लिया गया। भाजपा सूत्रों के मुताबिक उस मीटिंग में कांडा को ऑफर दिया गया था कि वो अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने लें। हालांकि कांडा ने भाजपा का ये ऑफर ठुकरा दिया।

गोपाल कांडा के करोड़पति बनने का असली सफर वर्ष 2000 के आसपास गुरुग्राम से शुरू हुआ। उस समय हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की अगुआई में इनेलो की सरकार थी। उस दौर में गोपाल कांडा इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला के बेहद करीब थे। चौटाला सरकार के दौरान ही कांडा ने सिरसा जिले में तैनात रहे एक  अफसर से हाथ मिलाया। वह  अफसर गुरुग्राम में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हुडा, अब इसका नाम  हो चुका है।) प्रशासक लग गया।

उस अफसर से दोस्ती का फायदा उठाते हुए गोपाल कांडा ने गुरुग्राम में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। यह वो दौर था, जब गुरुग्राम में डेवलपमेंट शुरू ही हुई थी। दिल्ली से सटा होने के कारण बड़ी-बड़ी कंपनियों ने वहां अपने कॉर्पोरेट दफ्तर बनाने शुरू किए तो गुरुग्राम के प्रॉपर्टी बाजार में ऐसा बूम आया कि रातोंरात लोगों के वारे न्यारे हो गए।

गोपाल कांडा को इसका जमकर फायदा मिला। चौटाला सरकार के दौरान ही गोपाल कांडा के बाकी राजनेताओं से भी अच्छे संबंध बन गए। साल 2000 में कांडा ने ओपी चौटाला को नोटों की गडि्डयों से तोला था। तब ऐसी चर्चा रही कि कांडा ने चौटाला के वजन के बराबर तराजू में 80 लाख रुपए रखे थे।

2004 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी, इनेलो हार गई और राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। बिजनेस की समझ रखने वाले गोपाल कांडा ने जल्दी ही हुड्‌डा सरकार में पैठ बना ली। उसके साथ ही वह इनेलो और चौटाला परिवार से दूर होते चले गए।

वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत गए। वह 2005 से 2009 तक हुड्‌डा सरकार में उद्योगमंत्री रहे सिरसा के दिग्गज लक्ष्मण दास अरोड़ा को हराकर विधानसभा पहुंचे।

विधानसभा चुनाव नतीजे आए तो कांग्रेस पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाई। तब कांग्रेस ने 40 सीटें जीतीं। इनेलो 32 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उस समय गोपाल कांडा ने सियासी हालात का फायदा उठाते हुए निर्दलीय जीतने वाले 5-6 विधायकों को रातोंरात हुड्‌डा को समर्थन दिलवा दिया। लगातार दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बने हुड्‌डा ने कांडा को बतौर इनाम गृह राज्य मंत्री बनाया।

 

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