मेक इन इंडिया पहल ने भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नए सिरे से मजबूत किया है। साल 2014 में जब भारत का मैन्युफैक्चरिंग बेस गिरावट पर था तब इस पहल ने उसे न सिर्फ रोका बल्कि GDP में इसकी हिस्सेदारी 17% तक बनाए रखी। अभी भी श्रम सुधारों और लाजिस्टिक्स में चुनौतियां अब भी हैं लेकिन सरकार की प्रोडक्ट लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम से यह क्षेत्र आगे बढ़ रहा है।
मेक इन इंडिया पहल से भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नई जान आई है। यह सही है कि आज से 10 वर्ष पहले भी जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत थी और आज भी जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग का योगदान 17 प्रतिशत है, लेकिन इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकालना सही नहीं होगा कि मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा नहीं मिला है।
आपको सही तस्वीर जानने के लिए 2014 के पहले के आंकड़ों पर गौर करना होगा। 2002 से 2014 के बीच मैन्युफैक्चरिंग के आंकड़े गिर रहे थे। ज्यादा से ज्यादा वस्तुएं भारत में बनने के बजाए बाहर से आयात हो रहीं थी। बाहर से आ रही चीजें इतनी सस्ती थीं कि उनका यहां निर्माण करना आर्थिक तौर पर फायदेमंद नहीं था।