प्रदेश की एकमात्र प्रादेशिक राजनीतिक पार्टी जोहार छत्तीसगढ़ के प्रत्याशी गोपी साहू का नामांकन रायपुर दक्षिण उप चुनाव में रद्द हो चुका है!
बड़े ही जोश खरोश के साथ जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं और छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के सेनानियों ने राजधानी रायपुर में इकट्ठा होकर बाजे गाजे के साथ नामांकन रैली किया था और जीत का दावा भी किया लेकिन प्रत्याशी के नामांकन रद्द होने की खबर ने सबको निराश कर दिया है!
आखिर क्यों नामांकन रद्द हुआ इस बात की पुख्ता जानकारी यह है की शपथ पत्र में प्रत्याशी को दो जगहों पर हस्ताक्षर करने होते हैं, चूक यहीं हुई जिसकी जानकारी स्क्रूटनी में लगी और इसे सुधार लेने की कोशिश भी हुई पर सफलता नहीं मिली और नामांकन रद्द कर दिया गया।
आखिर अब जब जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी प्रत्याशी का नामांकन रायपुर दक्षिण से रद्द हो चुका है तो क्या पार्टी इसकी समीक्षा कर रही है?
क्यों इस बात की पुष्टि नहीं की गई की शपथ पत्र में कोई कमी बेसी हो सकती है, उतावलेपन, जानकारी की कमी और सुनियोजित शैली का अभाव कई बार मैदान में जाने से पहले ही हरा देती है और जेसीपी प्रत्याशी के साथ यही हुआ?
विधानसभा चुनाव के समय भी बहुत से प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हुआ था कवर्धा पंडरिया सहित लगभग दर्जनों जगह से प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हुए थे आखिर इसका कारण क्या हो सकता है?
क्या नामांकन भरने में कोई गलती हुई थी कोई चूक थी या फिर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने कुछ खेल किया था?
मामला चाहे कुछ भी हो लेकिन जिस तरह से आम भोले भाले छत्तीसगढ़ियों को जिन्हे जोजवा भोकवा की संज्ञा देकर बाहरी लोग इस प्रदेश की संपदा लूट रहे हैं और सिधवा छत्तीसगढ़िया मूकदर्शक बना हुआ है, तो आखिर कब यह मूकदर्शक छत्तीसगढ़िया अपने अधिकारों के लिए योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई लड़ेंगे?
आज से लगभग 10 साल पहले छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना अस्तित्व में आई और आम छत्तीसगढ़ियों के अधिकार के लिए लड़ने का संकल्प लिया लेकिन क्या उनका संकल्प योजना बद्ध तरीके से एग्जीक्यूट हुआ इस पर भी बड़ा संदेह है!
क्योंकि संगठन के पास अब तक कोई रोड मैप नहीं है सेनानी अभी भी एक दूसरे की देखा देखी बातों और घटनाओं पर अपना विचार रख रहे हैं, तो क्या मजबूत वैचारिक व्यक्तित्व की कमी इस संगठन को कमजोर कर रही है?
गाहे बगाहे कई उदाहरण भी देखने को मिल रहे हैं जैसे की रायपुर दक्षिण के जेसीपी प्रत्याशी गोपी साहू का नामांकन रद्द होना, क्या कमी रही होगी? क्या कारण रहा होगा जो गोपी साहू का नामांकन रद्द कर दिया गया?
क्या अभी भी जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी राजनीति को मजाक में ले रही है, अभी भी पार्टी के वरिष्ठों को गंभीरता नहीं आई है?
2023 के विधानसभा चुनाव में अपना जमानत जप्त करा चुकी जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी को समय रहते संभलना होगा और एक पुख्ता नीति के साथ एक योजना बद्ध तरीके से काम करना होगा नहीं तो जो उम्मीद आम छत्तीसगढ़ियों को जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी से लगी है कहीं कमजोर ना हो जाए और अगर यही स्थिति बनी रही तो आने वाला वक्त इस क्षेत्रीय पार्टी के लिए बड़ा ही चुनौती भरा होने वाला है!
राज्य निर्माण के बाद लगभग 6-7 क्षेत्रीय पार्टियों ने ताल ठोका था लेकिन वर्तमान में एक भी क्षेत्रीय पार्टी अपनी अस्मिता बचा पाने में सफल नहीं हुई है ऐसे में जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी छत्तीसगढ़ियों के लिए बड़ी उम्मीद है।
क्योंकि यह पार्टी छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना की राजनीतिक विंग है ऐसे में लोगों का भरोसा भी जेसीपी के साथ जुड़ा हुआ है।
जिस तरह से CKS बीते 10 वर्षों से आम गरीब-गुरुवा छत्तीसगढ़ियों के हक की लड़ाई लड़ रही है ऐसे में एक मजबूत राजनीतिक मंच को पूरा करने वाली जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी का इस तरह से परफॉर्मेंस कई संकाओं को खड़ा करता है!
अब देखने वाली बात होगी की जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के प्रदेश मुखियाओं का अगला कदम क्या होगा?
विडंबना यह भी है की जेसीपी में अब तक ना तो कोई प्रदेश प्रवक्ता हुआ है और ना ही किसी तरह की मीडिया रिलीज ही सोशल मीडिया और मुख्य धारा की मीडिया में प्रसारित होती है पार्टी कार्यकर्ताओं को ही यह पता नहीं होता की पार्टी ने कोई निर्णय कब ले लिया?
आरोप यह भी लग रहे हैं की jCP और CKS चंद लोग ही मिलकर चला रहे हैं जिसके चलते संगठन में भारी असंतोष व्याप्त है और इसका सीधा उदाहरण है कोरबा में एक और गैर राजनीतिक संगठन छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का उदय, जिसके प्रदेश अध्यक्ष के रूप में दिलीप मिरी प्रचारित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना का दो फाड़ होना इस बात की पुष्टि है कि कहीं ना कहीं राजनीतिक दल के निर्माण के बाद से गैर राजनीतिक संगठन में अस्थिरता आई है!
जेल यात्रा कर चुके बहुत से सेनानियों के परिवारों का आरोप है की संगठन के तथाकथित मुखियाओं के भड़काऊ भाषणों से प्रभावित होकर युवा विद्रोही हो रहे हैं जिसके फल स्वरुप उन्हें जेल यात्राएं करनी पड़ रही है ऐसे में घर परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
अभनपुर कोलर के लगभग 22 संगठन सदस्यों ने यह आरोप भी लगाया था कि संगठन किसी तरह से उनकी कोई मदद नहीं कर रही है ऐसे में उनका जीवन ही खराब हो चुका है, ना तो उन्हें दोबारा नौकरी मिल पा रही है और न ही वे कानून कोर्ट कचहरी के चक्कर से उबर पा रहे हैं!
ऐसे में संगठन को मजबूत होने की जरूरत है और संवैधानिक तरह से लड़ाई लड़ने एक संवैधानिक टीम के साथ मजबूत विचारधारा वाले लोगों को संगठन में जिम्मेदारी देने की जरूरत है।
आज लाखों छत्तीसगढ़िया नौजवानों की उम्मीद CKs और jCP के साथ है और प्रदेश की अस्मिता के रखवाले के रूप में इन्हे देखा जा रहा है पर आपसी धक्कम धक्की और स्वार्थ साधने की होड़ एक बड़े सपने के लिए खतरा बन रहा है।